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Latest News:
खलल दिमाग का ! 17 Aug 2013 | 09:29 am
वैसे तो ग़ालिब ने कहा है – “कहते हैं जिसको इश्क़ खलल है दिमाग का”। पर इश्क़ ही नहीं बहुत कुछ है जो, और कुछ नहीं, सिर्फ दिमाग का खलल है... जैसे – ------------------------------------------- कभी जो चमकता...
इंजीनियर साहेब 'भुट्टावाले' (पटना १७) 21 Jul 2013 | 04:59 am
बीरेंदर एक दिन अपने बागान के अमरूद लेकर आया था। मैंने खाते हुए कहा - 'बीरेंदर, अमरूद तो मुझे बहुत पसंद है। इतना कि मैं रेजिस्ट नहीं कर पाता। पर ऐसे नहीं थोड़े कच्चे वाले'। बीरेंदर को ये बात याद रही ...
भांति भांति के … ! 2 Jun 2013 | 07:29 am
(आगे अभद्र भाषा हो सकती है...) दृश्य १: न्यू यॉर्क में एक इनवेस्टमेंट बैंक का ऑफिस - मैं खुशी से नाचते हुए से एक इंसान को देखता हूँ। वो मुझसे कह रहे हैं कि १० साल पहले खोयी हुई उनकी घड़ी वापस मिल गयी।...
हम दुबेजी बोल रहे हैं ! 23 May 2013 | 06:29 am
"हैलो सर ! हम मेरु कैब से दुबेजी बोल रहे हैं" जिस सम्मान और गर्व के साथ दुबेजी ने अपना नाम लिया मन किया कहूँ - "दुबे जी प्रणाम !" नाटे कद के काली-सफ़ेद दाढ़ी और लंबे बाल वाले दुबेजी "हरी ॐ" और "शिव-शि...
स्पेशली मेड फॉर... 15 Mar 2013 | 06:29 am
6-8 महीने पहले जोश में आकर नए जूते लिए गए - स्पेशली मेड फॉर रनिंग। पहली बार पहना तो अच्छा सा लगा। लगा सच में दौड़ने-भागने के लिए ही बनाए गए हैं। बचपन में हमारे मुहल्ले के एक चाचा जब नयी नवेली रिलीज ह...
नए जमाने के विद्वान (पटना १६) 19 Feb 2013 | 08:04 am
एक दिन शाम बीरेंदर ने कहा - "चलिये भईया आज थोड़ा घूम-टहल के आते हैं, चाय तो रोजे पीते हैं। आज गांधी मैदान साइड साइड चलते हैं। बिस्कोमान भवन के पास भी जूस वाला सब ठेला लगाता है।" हमें कोई ऐतराज तो होना ...
…there was no one left to speak for me. 1 Jan 2013 | 01:30 pm
सच कहूँ तो इस मुद्दे पर मैंने कहीं कुछ नहीं लिखा, कोई पसंद नहीं, कोई टिप्पणी भी नहीं। इससे जुड़ी खबरें भी ठीक से नहीं पढ़ पाया। लोगों ने मुझसे कुछ कहना भी चाहा तो मैंने मना कर दिया । एक तो मुझे हर किसी ...
वो लोग ही कुछ और होते हैं - III 3 Nov 2012 | 03:55 am
कुछ लोगों से मिलकर अच्छा लगता है। वो अपनी एक अलग छाप छोड़ जाते हैं। ऐसे ही कुछ लोगों से हम मिले न मिले उनके बारे में सुनकर ही अच्छा लगता है। अलग तरह के लोग ... भले ही दुनिया उन्हें पागल कहे। पर उन लोग...
संसकीरित के पर्हाई (पटना १५) 4 Sep 2012 | 08:33 am
सुबह सुबह रिक्शे वाले ने जब सौ रुपये का नोट देखकर हाथ खड़ा कर दिया तो मैं चाय वाले छोटू के पास गया। सौ रुपये अभी उसके पास भी जमा नहीं हुए थे। अगली कोशिश जूस वाले चचा... मैंने सौ का नोट बढ़ाते हुए कहा - ...
परमानेंट मेमोरी इरेज़र से मुलाक़ात के पहले तक... 18 Aug 2012 | 10:26 am
कुछ बेवकूफाना हरकतें - (किया कभी?) नए 'कटर' से पेंसिल... और दाँत से गन्ने - छिलकों की लंबाई का रिकॉर्ड तोड़ने-बनाने की कोशिश। फाउंटेन पेन में सूख गयी स्याही की खुशबू… बॉलपेन के रीफ़ील में स्याही डालने...