Blogspot - ramrasayan.blogspot.com - रामरसायन
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Latest News:
"दिलो मे सांप पालते" 27 Aug 2013 | 07:57 pm
सबको राम-राम ..... चंदन नगर इंदौर मे हुए फ़साद पर.. "दिलों मे साँप पालते " बाँटते नही प्यार सहेजते है तलवार छतों पर पत्थर भरमार बगलो मे कटार|1| -- पेट्रोल बम भी तैयार झूठा इशारा भी हो अगर सि...
"एक टुकड़ा" 6 Aug 2013 | 06:26 pm
सबको राम राम..... यह क्या है? कहानी है? लघुकथा है?, नही पता | लिखना था कुछ, तो विचारो के साथ हो लिया और क़लम कागज काले करती गयी |ज़्यादा नही लिखा, थोड़ा ही है, पर कुछ है.. दिनचर...
"धन्यवाद बहुत" 23 Jul 2013 | 07:33 pm
सबको राम राम.... "धन्यवाद बहुत" उर्जा मिलती मेरी हाइकू जब कोई पढ़ता |1| -- लाइक करे मेरी जब हाइकू खून बढ़ता |2| -- अभी "ढीसुर" धन्यवाद देता हूँ सब जनों को |3| -- मैदान नया अभी रहा अनाड़ी मुझे सीखान...
"पितृत्व का सुख" 23 Jul 2013 | 06:49 pm
सबको राम राम..... "पितृत्व का सुख" हे प्रभु आपसे रही, एक बस शिकायत, बीजक बनाया आपने, पोषक क्यूँ नही |1| -- बहुत लगता अच्छा, होता अगर ऐसा, मेरी छाति से भी चिपटा रहता बच्चा |2| -- माओं से ईर्ष्य...
"बूढ़ी वह" 16 Jul 2013 | 08:36 pm
सबको राम राम ..... यह हाइकू नही है.. लगा ज़रूर था..लेकिन लिखना अच्छा लगा.. "बूढ़ी वह" नब्बे बरस की माँ पैसठ की बेटी, यही रोटी देती |1| -- गृहस्थी अपनी लेकर, बेटे हुए दूर, अपने मद मे चूर |2| -- जा.....
" घन ऐसे बरस " 16 Jul 2013 | 07:46 pm
सबको राम राम .... " घन ऐसे बरस " घन घनघोर बरसे, जल को कोई ना तरसे|१| --- लहर लहर लहराए हरियाली, जन-जन के मुख पर छाये लाली|२| --- पशुधन को खाना मिले, चारा हरियाला खूब फले|३| --- ललित कर्मा ...
"झड़ गये बाल" 16 Jul 2013 | 07:39 pm
सबको राम राम..... "झड़ गये बाल" झड़ गये बाल, दिखती है टाल, नही है कोई ख्याल, बस बाल ही बाल|1| -- घने बालों का जमाना, लौट के अब आना नही, विदा हो खुशियाँ सारी, वीरान हो गयी टाल बेचारी|2| -- फसल बालों....
"अच्छा इंसान बने" 16 Jul 2013 | 07:34 pm
सबको राम राम..... "अच्छा इंसान बने" अच्छा इंसान बनने की, आ हम शुरुआत करते है, झाड़ू उठाकर आ, भीतर से सफाई करते है |1| -- आ कुछ ऐसी बात जम जाए, निज हित साधन मे जनहित जुड़ जाए, जुगत हम ऐसी करते है,.....
" लहराए तिरंगा " 16 Jul 2013 | 07:30 pm
सबको राम राम ...... " लहराए तिरंगा " शान तिरंगा, आन तिरंगा, देश का स्वाभिमान तिरंगा |1| -- जन जन का प्राण तिरंगा, पहचान तिरंगा, सम्मान तिरंगा |2| -- विजय...
" Pustakon Ka Sansaar " 4 Jul 2013 | 10:58 am
सबको राम राम ..... "पुस्तकों का संसार" पुस्तकों का संसार विलक्षण है।बहुत सारा ज्ञान इनमे निहित है।पढ़ाई की शुरुआत से पुस्तकों का संपर्क प्राप्त होता है।पढ़ाई डिग्रियों की प्राप्ति तक सीमित रह जाती है ...