Blogspot - viratlakshya.blogspot.com - ANKUR...Walking awake...Need a break!
General Information:
Latest News:
थक जाता हूँ ये सोच सोच कर की ना जाने क्या कम है 28 Feb 2012 | 09:31 am
बहुत दिनों से मैं सोच रहा था की कुछ लिखूं ... जो लिख रहा हूँ वो शायद सच नहीं पर जो सच मैं दिल मैं है वो लिखना मुमकिन नहीं, फिर भी एक उस एहसास को सामने लाया हूँ, जो शायद सबसे आसान है पर सब पेचीदा कर दे...
उम्मीदें 5 Nov 2009 | 03:24 am
उस एक शमा के खातिर... हम कितनी बार जले , फिर भी ख्वाबों में... उनकी ही चाहत के गुल खिले, बस इंतज़ार है अब तो... कब समझेगी ... वो इस दिल की खामोश धडकनों कों... जिनका चलना है... उनकी ही आरजू के सिलसिले.
उम्मीदें 4 Nov 2009 | 10:24 pm
उस एक शमा के खातिर... हम कितनी बार जले , फिर भी ख्वाबों में... उनकी ही चाहत के गुल खिले, बस इंतज़ार है अब तो... कब समझेगी ... वो इस दिल की खामोश धडकनों कों... जिनका चलना है... उनकी ही आरजू के सिलसिले.
सिर्फ़ मैं जानता हूँ 20 Aug 2009 | 09:13 pm
लोग कहतें हैं कि कितना कुछ पाया है मैंने, पर क्या क्या खोया है सिर्फ़ मैं जानता हूँ, सब कहतें हैं कि कितना हंसाया है इस चेहरे ने, पर ये दिल कितना रोया है सिर्फ़ मैं जानता हूँ.
सिर्फ़ मैं जानता हूँ 20 Aug 2009 | 05:13 pm
लोग कहतें हैं कि कितना कुछ पाया है मैंने, पर क्या क्या खोया है सिर्फ़ मैं जानता हूँ, सब कहतें हैं कि कितना हंसाया है इस चेहरे ने, पर ये दिल कितना रोया है सिर्फ़ मैं जानता हूँ.
कुछ चाहतें ऐसी भी ... 15 Aug 2009 | 06:51 am
ये नगमें अतीत के पन्नों से - चाहत थी उनके होटों का जाम बनने की, वो हमें आंखों से छलकना सिखा गए, चाहते थे उनकी साँसों को महकाना , वो हमारी धडकनों को बेगाना बना गए, चाहत थी उनकी मूरत बनाने की, वो हमारी ...
मिलन एहसासों का ... 15 Aug 2009 | 06:30 am
कभी मैं ये सोचता हूँ कि लोग एक खुशी के लिए कितने गम उठाते हैं और कभी कभी वो खुशी भी नसीब नही होती। कोई बात नही शायद यही जिंदगी हैं । महान शायर 'गालिब' ने सही ही कहा है - किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलत...
कुछ चाहतें ऐसी भी ... 15 Aug 2009 | 02:51 am
ये नगमें अतीत के पन्नों से - चाहत थी उनके होटों का जाम बनने की, वो हमें आंखों से छलकना सिखा गए, चाहते थे उनकी साँसों को महकाना , वो हमारी धडकनों को बेगाना बना गए, चाहत थी उनकी मूरत बनाने की, वो हमारी ...
मिलन एहसासों का ... 15 Aug 2009 | 02:30 am
कभी मैं ये सोचता हूँ कि लोग एक खुशी के लिए कितने गम उठाते हैं और कभी कभी वो खुशी भी नसीब नही होती। कोई बात नही शायद यही जिंदगी हैं । महान शायर 'गालिब' ने सही ही कहा है - किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलत...
My Friend -Shobhit synonym of Completeness 10 Aug 2009 | 03:14 am
This is dedicated to my Friend Shobhit Khare , a COMPLETE MAN by thoughts, experience and most of all emotions . He always remained besides me to help me ,to interrupt me on faults , to scold me on mi...