Wordpress - sadheteenakshar.wordpress.com - साढ़े तीन अक्षर
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तहज़ीब थी उनकी 4 Aug 2013 | 05:12 pm
वो हम से रूबरू तो हुए पर नज़रें न मिल पाईं ये किस्मत थी मेरी या तहज़ीब थी उनकी सजदा किया हमने वो धीरे से मुसकाईं ये जन्नत थी मेरी या तहज़ीब थी उनकी कभी वो पर्दों के किनारों से बस देख लेते थे एक म...
तो फिर वही होता जो मंजूरे अदा होता 17 Jul 2013 | 08:17 pm
अगर उनके पास कोई प्यारा सा दिल होता या उनका दिल नहीं पत्थर से बना होता या फिर उस पत्थर पर कहीं प्यार लिखा होता तो फिर वही होता जो मंजूरे अदा होता चंद तारे तोड़ कर तो हर आशिक लाता है कोई पत्थरो...
नज़रें तुम्हारी बुरी और पर्दा मैं करूँ ! 9 Jan 2013 | 09:26 pm
अभी अभी किसी ने कहा कि रेखा पार न करो अभी अभी किसी ने कहा कि यूँ सिंगार न करो किया है किसी और ने और जुर्माना मैं भरूँ नज़रें तुम्हारी बुरी और पर्दा मैं करूँ रेखा पार मैं करूंगी तो तुम रावण बनोगे चलो न...
ये जाने क्या यार हुआ 30 Dec 2012 | 07:59 pm
प्यार हुआ इकरार हुआ फिर धीरे से इज़हार हुआ उसने ना किया न हाँ , बस मुड के वो चली गयी ये जाने क्या यार हुआ बचपन में सुनी थी एक poem Try again Try again और दोस्तों की वो सीख, रोना छोड़ Be the man आखि...
यूँ बीच में अचानक ये प्यार कहाँ से आया 1 Dec 2012 | 06:53 pm
दोस्त ही तो थे इतने अरसे से हम तुम रहते थे अपनी इस दुनिया में ही गुम कभी नादान सी बातों में दिन थे गुज़रते कभी छोटी सी बात पर में लड़ते झगड़ते इन रिश्तों के मायने कभी सोचे नहीं थे कुछ लब्ज़ अनसुने जो ...
हम भी मुकद्दमों के सब पैंतरे जानते हैं ! 9 Sep 2012 | 11:29 am
भले ही नामंज़ूर कर फ़रियाद को हमारी हम भी मुकद्दमों के सब पैंतरे जानते हैं तेरे अक्स ने तो आखिर सराहा है हमको तेरे अक्स को ही तेरा तसव्वुर मानते हैं आग का है दरिया ये इश्क यूँ सुना है हम जैसे परवाने ह...
रोया, हंसा, खिल-खिलाया 31 Aug 2012 | 09:43 pm
रोया, हंसा, खिल-खिलाया ऊँगली पकड़ के चला, गिरा, उठा ,फिर चला सुनना,बोलना,पढना सीखा कही फेल हुआ कही पास रिश्ते बनाये, दोस्त भी कुछ निभाए कुछ भुलाये किसी को याद किया कभी पाया कभी खोया कभी अपनों को दूर ज...
ये Love Marriage है भाई ! 10 Aug 2012 | 02:07 am
जब हुआ पच्चीस का तो गया पापा के पास और की वो बातें जो करनी थी हमको ख़ास धीरे से हमने उनको दिल की बात बताई जेब से निकाल कर लड़की की फोटो दिखाई करता हूँ मैं प्यार इस से, करवा दो मेरी शादी खाना भी वो बना...
कुछ लहरें कुछ पल 15 Jul 2012 | 05:28 pm
बैठा था नम रेत पर समंदर के किनारे देख रहा था आती हुई लहरों को हर लहर नयी थी पर पुरानी लहर से मिलती जुलती क्या अलग था ये मैं पहचान नहीं पाया कभी देखा होगा तुमने भी अपलक आँखों से कुछ आते हुए पलों को कुछ...
कुछ लहरें कुछ पल 15 Jul 2012 | 05:28 pm
बैठा था नम रेत पर समंदर के किनारे देख रहा था आती हुई लहरों को हर लहर नयी थी पर पुरानी लहर से मिलती जुलती क्या अलग था ये मैं पहचान नहीं पाया कभी देखा होगा तुमने भी अपलक आँखों से कुछ आते हुए पलों...