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Latest News:
Women are beautiful desires 7 Jan 2013 | 04:45 pm
‘Women are beautiful desires not the object of lust…’ Respect ladies because they make your world beautiful. by Vinay Prajapati Penned: 07/01/2013 Filed under: Quotes Tagged: beauty, desire, love, vin...
ख़ुद-फ़रेबी हूँ 27 Nov 2012 | 04:30 pm
PTM8K99SAEZR मैं बारहा जज़्बाती होकर क्यों उसका ज़िक्र कर देता हूँ? क्यों ये तूफ़ान दिल में थमकर नहीं रहता? क्यों ये सुनाना चाहता हूँ कि उसने मेरे साथ क्या किया? क्यों आख़िर क्यों ये सब मेरे साथ हो रहा है...
फ़िज़ा में रंग घुल जाते हैं 14 Nov 2012 | 05:32 pm
मैं कभी सोचता हूँ कि मेरी दुनिया क्या है? ये दिल है जो प्यार जैसे हुस्न के लिए तड़पता है या वो जिसका नाम ज़ुबाँ पर आते ही फ़िज़ा में रंग घुल जाते हैं… इक रोज़ मेरी मोहब्बत तारीख़ होगी मेरी बात बारीक़ से भी ब...
मैं और तुम कभी आशना थे 21 Oct 2012 | 02:21 pm
Follow my blog with Bloglovin पिछली रात तेरी यादों की झड़ी थी मन भीग रहा था जैसे-जैसे रात बढ़ती थी चाँद से और जागा नहीं जा रहा था… बेचारी नींद!!! आँखों से यूँ ओझल थी जैसे कि कुछ खो गया हो उसका जब आँखों ...
उलझे हुए दिल में तेरी कमी-सी क्यों है 17 Aug 2012 | 05:47 pm
उलझे हुए दिल में तेरी कमी-सी क्यों है क्या बात है आँखों में नमी-सी क्यों है तेरी किस बात से यह दिल थम गया दिल में हर धड़कन सहमी-सी क्यों है क्या हुआ किस बात से ये दिल टूट गया टूटे हुए दिल में ये नरमी-स...
तो उसका ये डर मिटे 5 Aug 2012 | 10:41 am
बहुत दिन हुए ढलती रात पे सहर का सुनहरा रोगन मैंने चढ़ते नहीं देखा। तुम थे तो तुम्हें देखने के लिए इसे रोज़ बालिश्त-बालिश्त खेंचता था। उतरती थी धीरे-से रात, चाँद भी अलविदा कहके सूरज की किरनों में खो जाता...
उसकी आँखें 2 Aug 2012 | 10:36 am
मैंने कभी उससे बात नहीं की मगर क्यों उसकी आँखें मुझको पहचानती हैं? क्या जानती हैं मेरे बारे में, क्या जानना चाहती हैं उसकी आँखें? कभी आश्ना तो कभी अजनबी लगती हैं उसकी आँखें, मानूस आँखें! उसकी आँखें पह...
ज़िन्दगी धूल की तरह 2 Aug 2012 | 02:10 am
ज़िंदगी धूल की तरह – हर मोड़ हर रहगुज़र से गुज़रते हुए – कभी दर्द की धूप में – कभी आँसुओं की रिमझिम में – भीगते बहते हुए बीत रही है – ख़ुशी की सहर और शाद की शाम मैंने तुम्हारे साथ देखी थी – फिर दोबारा आज त...
सावन की बदली बरसने लगी है 31 Jul 2012 | 05:44 pm
सावन की बदली बरसने लगी है माटी ये सौंधी महकने लगी है मेरा मन तेरे बारे में सोचता है धड़कन सीने में गरजने लगी है हर एक गली में पानी भरा हुआ है काग़ज़ की नाव का चलना हुआ है खिड़कियों पर बूँदें बिखरी हुईं ह...
नम हैं आज तक यादों के सूखे पत्ते 28 Aug 2009 | 04:54 pm
मुझे क्या हुआ है मुझे कुछ पता नहीं है क्या मेरे दर्दो-ग़म की कोई दवा नहीं है यह उदासियों की शामें बहुत उदास हैं मेरे नसीब में क्या मौसमे-वज़ा1 नहीं है आफ़त यह हम पर टूटकर आयी है इसे देखने को क्या कोई ख़...