Blogspot - alokitajigisha.blogspot.com - उद्गीत . . .
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जीवन भर का साथी ....मेरा जीवन साथी 1 Aug 2013 | 05:04 pm
आज से करीब डेढ़ साल पहले मेरी जिन्दगी में एक बहुत अहम मोड़ आया। एक मोड़ जिसने मेरी जिन्दगी में बहुत कुछ बदल दिया, जिन्दगी जीने का मेरा तरीका, अपने वर्तमान और भविष्य को देखने का मेरा नज़रिया। एक मोड़ ...
तो क्या करें??? 23 Mar 2013 | 11:52 am
झूठी हो हाथों की हर लकीर तो क्या करें बेवफ़ा हो अपनी हीं तकदीर तो क्या करें मंजिलें भले मालुम हों रास्ते भी हों खुले अपने हीं पैरो में हो ज़ंजीर तो क्या करें ज़ख्म की गहराई हमने दिखा तो दी उन्हें...
कलयुग में अब तक रावण-दहन नहीं हुआ ......... 25 Oct 2012 | 12:53 pm
लो दशहरा आया और चला भी गया। खूब पूजा-पाठ व्रत-उपवास किये गए, मौज-मस्ती भी खूब हुई और अंत में लंका दहन के नाम पर रावण के पुतले को जला कर पूरा समाज आत्म-संतुष्टि के भाव से भर गया। रावण-दहन केवल बुराई पर...
माता ऐसा वर दे मुझको . . . . . . . . . 15 Oct 2012 | 10:35 pm
माता ऐसा वर दे मुझको, सारे सदगुण मैं पा जाऊं छोड़ सकूँ दुर्गुणों को सारे, दुर्बलता को भी तज़ पाऊं अडिग रहूँ कर्तव्यपथ पर, लाख डिगाय न डिग पाऊं अचल-अटल हो सकूँ शैल सी, हे शैलपुत्री ऐसा वर दो रह सक...
हकीकत से आँखें मूंद के जीना नासमझी नहीं 10 Sep 2012 | 11:11 am
ना पूछ जिन्दगी में तेरी जरुरत क्या है जो तू नहीं तो फिर जिन्दगी की जरुरत क्या है हकीकत से आँखें मूंद के जीना नासमझी नहीं गर टूट भी जाए तो सपनो से खुबसूरत क्या है इश्क में डुबके जिसने खुद को भुलाया...
बहन-रक्षा का प्रण लेने की जरुरत नहीं 2 Aug 2012 | 03:33 pm
अभी पिछले हीं दिन अखबार में छपी एक खबर में पढ़ा था बारहवीं की एक छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मुख्य नामजद अपराधी प्रशांत कुमार झा तीन बहनों का भाई है, उसकी बहन के बयान से शर्मिंदगी साफ़ झलक र...
जलने और जलने में हीं कितना अंतर आ जाता है 12 Jun 2012 | 03:34 pm
जलने और जलने में हीं कितना अंतर आ जाता है शमा भी जलती चिता भी जलती जलती अगन दोनों में है औरों को रौशनी देने को शमा जलती, कतरा-कतरा पिघलती है भष्म करके कई खुशियों अरमानो को हीं चिता कि लपटों...
कुछ नया गा रे मन !!! 11 Jun 2012 | 12:30 pm
क्या यही प्रेम परिभाषा है ? 4 May 2012 | 12:57 am
तुझसे लिपट के........... तुझी में सिमट जाऊं भुला के खुद को.......... तुझपे हीं मिट जाऊं ये कैसी तेरी चाहत ? ये कैसा है प्यार सखे ? मिट जाए पहचान भी नहीं मुझे स्वीकार सखे है प्यार मुझे भी, प्र...
आखिर कब तक ? 21 Apr 2012 | 01:49 am
हमारे देश में हमेशा से असमानता को हटाये जाने का प्रयास होता रहा है लेकिन यह 'असमानता' जाने कबतक हमारे देश के अस्तित्व से चिपकी रहेगी ? कब तक भेद भाव का सामना करना पड़ेगा समाज के विभिन्न वर्गों को ? कभ...