Blogspot - amit-nivedit.blogspot.com - "बस यूँ ही " .......अमित

Latest News:

" यूँ ही जीते रहो अनिमेष ........" 25 Aug 2013 | 08:42 am

 "बस यूँ ही ऊँचाईयों की सीढी चढ़ते जाओ। जन्मदिन की शुभकामनायें "। 

" लगातार घंटी .....अरे जल न जाए .....मुग्धा होगी " 24 Aug 2013 | 12:10 am

रात को जब कभी भी दस बजे के बाद हमारे घर की काल बेल बजती थी ,वह भी लगातार ,तब निवेदिता कहती थी ,"देखिये मुग्धा होगी , यह लड़की घंटी न जला दे "। पहले हमारे यहाँ काल बेल चिड़िया की आवाज़ वाली थी ,वह घंटी...

"यादों के पिटारे से .......रक्षाबंधन " 20 Aug 2013 | 10:30 pm

बचपन हमारा रेलवे कॉलोनी में गुजरा । हम तीन भाई ,बहन कोई नहीं । रक्षा बंधन बहुत दिनों तक तो समझ नहीं आया । मेरे बड़े भाई कुछ ज्यादा मिस करते थे ऐसे अवसरों पर । एक बार बचपन में रक्षाबंधन के अवसर पर काफी...

"पैमाइश लफ़्ज़ों की......" 18 Aug 2013 | 11:35 pm

देखा है मैंने , अक्सर लब तुम्हारे , कुछ कहने से पहले , हो जाते हैं आड़े तिरछे, शायद ये लब , करते है पहले , तितर बितर होते , लफ़्ज़ों को तरतीब में , फिर टांकते चलते है , कतरा दर कतरा , अपनी नज़्म सी ...

" बुक-मार्क…… " 18 Aug 2013 | 06:56 am

पुस्तक पढने का शौक तो बहुत पुराना है । बस रफ़्तार और कंसंट्रेशन घटता बढ़ता रहता है ,उस पुस्तक में अभिरुचि के अनुसार । मुझे तो पुस्तक पढ़ते समय उसमें रखा 'बुकमार्क' भी अत्यंत उपयोगी लगता है । एक एक कर ...

" जब सीलिंग फैन बोल उठा ...." 13 Aug 2013 | 08:57 am

रात में बिस्तर पर करवटें बदल रहा था कि अचानक से कहीं से आवाज़ आई ,"क्यों नींद नहीं आ रही है क्या "। मुझे लगा निवेदिता की आवाज़ तो ऐसी खराश वाली नहीं है ,यह कौन बोला । नाईट लैम्प जला कर चारो ओर ढूंढती ...

" हवाई चप्पल " 10 Aug 2013 | 09:05 am

किसी के पास कितने भी आकर्षक जूते और चप्पल क्यों न हो ,उनमे एक अदद जोड़ी चप्पल 'हवाई' अवश्य होती है । कारण बस एक ही है ...पैरों से दुर्बल को कचरने में बहुत आनंद आता है । 'हवाई' चप्पल से दुर्बल और गरीब ...

"जन्म दिन "........मुबारक ....'निवेदिता' 19 Jul 2013 | 07:47 pm

                             इस बार कुछ लिखने को नहीं , बस जन्म दिन मुबारक 'निवेदिता'। "देखो भूला इस बार भी नहीं हूँ ....।" 

..........भाभी चली गईं ........!!!! 13 Jul 2013 | 07:53 am

दिनांक २९.०६.१३ ......दो दिन का मामूली बुखार ...अचानक कमजोरी और बेहोशी ...उसी बेहोशी में बुदबुदाए कुछ शब्द ......चार पांच घंटों के भीतर ही वेंटिलेटर की नौबत ......और उनके होश में आने की प्रतीक्षा करते...

"स्कूल कैसा हो ........तृतीय भाग " 16 Jun 2013 | 07:03 am

'कन्वर्जिंग ट्रैफिक' का बोर्ड प्रायः दिख जाता है ,बड़े शहरों में ,जहां अनेक सडकें आते आते कुछ कम सडकों में विलीन हो जाती हैं । यहाँ जो ट्रैफिक प्रारम्भ से ही मुख्य धारा में आ रहा होता है वह बड़ी सरलता...

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मुद्रा, आ गले लग जा, संस्कार, पूनम पांडे, माल गाड़ी

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